नई दिल्ली। रूस चंद्रमा में न्यूक्लियर पावर प्लांट (Lunar Nuclear Power Plant) बनाने जा रहा है। खास बात यह है कि इस परियोजना पर भारत भी रूस के साथ हाथ मिलाने को तैयार है। भारत ने रूस की इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर अपनी गहरी रुचि दिखाई है।
रूस की इस परियोजना का उद्देश्य चंद्रमा में बनने वाले बेस को ऊर्जा की आपूर्ति करना है। खबर यह है कि रूस और भारत के साथ चीन भी इसमें शामिल होने को उत्सुक है।
आधा मेगावाट बिजली का होगा उत्पादन
रूस की सरकारी परमाणु निगम रोसाटॉम इस परियोजना का नेतृत्व कर रहा है। चंद्रमा में बनने वाले पहले इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र से आधा मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा और यह बिजली चंद्रमा में बने बेस को भेजी जाएगी।
2036 तक बन जाएगा प्लांट
रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक रोसाटॉम के प्रमुख एलेक्सी लिखाचेव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ-साथ इस परियोजना में चीन और भारत ने खासी रूचि दिखाई है। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने एलान किया है कि चंद्रमा में परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने पर काम चल रहा है। रूस और चीन संयुक्त रूप से इस पर जुटे हैं। 2036 तक इसे चंद्रमा में स्थापित कर दिया जाएगा।
भारत के लिए क्यों खास है यह प्लांट?
चंद्रमा में बनने वाला रूस का पहला परमाणु संयंत्र भारत के लिए भी खास है। भारत की योजना 2040 तक इंसान को चंद्रमा में भेजने की है। ऐसे में यह प्लांट वहां उर्जा जरूरतों को पूरा कर सकता है। 2021 में रूस और चीन ने साझे तौर पर अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन बनाने की घोषणा की थी।
कहा जा रहा है कि यह स्टेशन 2035 और 2045 के बीच कभी भी शुरू हो सकता है। इस स्टेशन का उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान करना है। अधिकांश देश इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। मगर हो सकता है कि अमेरिका के कुछ सहयोगियों को इसका लाभ न मिले। ऐसे में रूस का सहयोगी होने के नाते भारत इसका फायदा उठा सकता है। बता दें कि भारत ने भी 2050 तक चंद्रमा में बेस स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।