रुड़की: भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) में एक नया अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की मंजूरी दी है। रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिक प्रगति और आत्मनिर्भरता के भारतीय मिशन के मद्देनजर यह मंजूरी दी गई है। केंद्र का नाम डीआरडीओ इंडस्ट्री एकेडेमिया-सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (डीआईए.सीओई), आईआईटी रुड़की होगा। इसकी सूचना रक्षा अनुसंधान एवं विकास में आत्मानिर्भरता पर एक संगोष्ठी में भी दी गई थी जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी। यह संगोष्ठी हाल में आयोजित डेएक्सपो 2022, गांधीनगर, भारत में हुई थी। इस अवसर पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा अपनी दूरदृष्टि और राष्ट्र-निर्माण की नई भूमिका के साथ हाल में आईआईटी रुड़की समेत छह आईआईटी से सहमति करार (एमओयू) करने की घोषणा की गई थी।
DRDO-Industry-Academia- Centre of Excellence (DIA-COE) IIT Roorkee) के मुख्य क्षेत्र
- रक्षा संबंधी उपयोगों के लिए स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और हार्डेंड स्ट्रक्चर
- ऊर्जा भंडारण उपकरण
- भूस्खलन, हिमपात और हिमस्खलन अध्ययन
- पल्स्ड लेजर और स्पेशियलिटी फाइबर
- शॉक और डेटोनिक्स
- थर्मल मैनेजमेंट
डीआईए-सीओई के वर्टिकल कॉर्डिनेटर हैं प्रोफेसर मनीष श्रीखंडे, प्रोफेसर योगेश के शर्मा, प्रोफेसर विमल सी श्रीवास्तव, प्रोफेसर विपुल रस्तोगी और प्रोफेसर अंडालिब तारीक। डीआईए-सीओई आईआईटीआर वर्टिकल के इन थीम पर सहयोग से अनुसंधान की सक्षमता प्रदान करेगा, जिसके परिणामस्वरूप देश के अनुसंधान और प्रौद्योगिकी रोडमैप के अनुसार भविष्य की अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों के लिए नई तकनीकों का विकास होगा। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने बताया, ‘‘सीओई की स्थापना से आईआईटी रुड़की को यह विश्वास है कि परस्पर सहयोग से अनुसंधान और विकास बढ़ने से संस्थान की शोध क्षमता नई ऊंचाई प्राप्त करेगी और संस्थान समाज में अधिक सार्थक योगदान देगा। इससे ना केवल रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर होने की सुविधा बढ़ेगी बल्कि अत्यंत कठिन पर्यावरण में तैनात हमारे रक्षा कर्मियों की जरूरतें भी पूरी होगी।
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नया केंद्र खुलने से कथित रूप से सुनिश्चित 6 कार्यक्षेत्रों के तहत अनुसंधान और विकास में आईआईटी रुड़की की अथाह क्षमता का लाभ लिया जा सकेगा।’’ रक्षा अनुसंधान एवं विकास के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी. कामत ने कहा, “डीआरडीओ-इंडस्ट्री-एकेडमिया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस आईआईटी रुड़की के बल पर कथित प्रौद्योगिकियों के तहत वैज्ञानिक अनुसंधान में बड़ी छलांग लगाना मुमकिन होगा। सीओई के माध्यम से आईआईटी रुड़की की पृष्ठभूमि में शिक्षा समुदाय का डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं से सुनियोजित संपर्क कायम हो पाएगा।’’ डीजीटीएम हरि बाबू श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘आईआईटी रुड़की और डीआरडीओ के विशेषज्ञों ने आपसी परामर्श से सुनिश्चित प्रौद्योगिकी वर्टिकल के विषयों का सावधानीपूर्वक चयन किया है।
आईआईटी रुड़की और डीआरडीओ के वर्षों पुराने मजबूत संबंध के साथ बड़ी संख्या में उनकी सफल शोध परियोजनाओं का सिलसिला बना हुआ है। डीआईए-सीओई की स्थापना इस दिशा में एक सहज प्रगति है। सीओई उच्च स्तरीय प्रौद्योगिकियों और उत्पादों को लक्ष्य बना कर काम करेगा। इसके लिए तीनों पहलुओं यानी आईआईटीआर फैकल्टी के सैद्धांतिक आधार, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं में उपलब्ध डोमेन की विशेषज्ञता और उद्योग जगत को प्राप्त निर्माण क्षमताओं का लाभ लाभ लेगा। हमें विश्वास है कि आईआईटी रुड़की में डीआईए सीओई की स्थापना के साथ आत्मनिर्भर भारत के लिए सुनिश्चित रक्षा प्रौद्योगिकियों में भारत को वर्ल्ड लीडर बनाने में यह बड़ी भूमिका निभाएगा।’