श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय में जनप्रतिनिधियों एंव छात्र छात्राओं द्वारा कुलसचिव के रवैये को देखते हुये विश्वविद्यालय में जोरदार हंगामा काटा। जनप्रतिनिधियों एवं छात्रों की शिकायत पर जब जिला प्रशासन की टीम अचानक विश्वविद्यालय पहुंची तो अधिकारियों-कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। कुलसचिव महोदय के बारे में पूछने पर अधिकारियों-कर्मचारियों ने फिल्मी स्टाईल में जवाब दिया की हमारे कुलसचिव का न आने का पता है ना जाने का पता। इतना ही नही प्रशासन द्वारा आये जांच अधिकारी तब ताजुब मान गयेे जब पता चला कि कुलसचिव महोदय को छोडकर सभी अधिकारियों के नाम उपस्थित पंजिका पर दर्ज हैं लेकिन उनका नहीं।
विश्वविद्यालय के अधिकारियों कर्मचारियों से जब मिडिया द्वारा पूछा गया तो पता चला की कुलसचिव काफी लम्बे समय से ऐसे ही विश्वविद्यालय से नदारत रहा करते हैं। बस विश्वविद्यालय में टेंडरो आदि के दौरान ही विश्वविद्यालय आते हैं और चले जाते हैं। विश्वस्त सूत्रों की माने तो कुलसचिव नवीन कुलपति की नियुक्ति से अभी तक 04 माह में एक माह भी कार्यालय मे उपस्थित नही हो पाये हैं। इस बात से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि कहीं लगातार अनुपस्थित रहकर विभागीय वाहन का, वित्त के नियमानुसार प्रयोग न कर सीधे सीधे सरकार के पैसों का दुरूप्रयोग तो नहीं किया जा रहा है। क्योकि वित्त के नियमो के अनुसार अगर देखा जाये तो सरकारी वाहन का उपयोग करने हेतु रू0 2000 की मासिक वेतन से कटौती करायी जाती है जिससे अधिकारी कुछ किलोंमीटर व्यक्तिगत भी उपयोग कर सकता है लेकिन कुलसचिव अपने मनमाने रवैये से विभागीय वाहन का उपयोग कर रहे हैं।
कुलसचिव खेमराज भटट् के विरूद कई शिकायते छात्र छात्राओं, जनप्रतिनिधियों द्वारा विभाग के मुखिया उच्च शिक्षा मंत्री डा0 धन सिंह रावत को की गयी है जिस पर मंत्री द्वारा जांच के आदेश भी दिये गये हैं। जिसके बाद विश्वविद्यालय में जल्द ही वित्तीय अनिमिकतता आदि को लेकर कई बडे खुलासे होने के कयास लगाए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय में पहुंचे जनप्रतिनिधियों का कहना है कि दूरदराज से आये छात्र आये दिन ऐसे ही परेशान हो रहे हैं जिनकी सुध लेने वाला कोई नही है। उच्च स्तर पर जब कार्यवाही करनी होती है तो विश्वविद्यालय में न कुलसचिव मौजूद रहते हैं और न ही प्रभारी परीक्षा नियंत्रक। आखिर किसके दम पर सरकार बडे-बडे दावे कर रही है। जबकि धरातल की स्थिति आये दिन ऐसे ही देखने को मिल रही है हर जगह छात्र व जरूरतमंद ही परेशान हैं।
जनप्रतिनिधियों एवं छात्रों का हंगामा देख अनन फानन में सहायक कुलसचिव एवं सहायक परीक्षा नियंत्रक द्वारा जनप्रतिनिधियों, छात्रों को समझा कर मामला शांत करवाया गया। जिस पर जनप्रतिनिधियों एंव छात्रों द्वारा उच्च शिक्षा मंत्री से मांग की गयी कि शीघ्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव खेमराज भट्ट की कार्यशैली एंव जब से वे विश्वविद्यालय में कुलसचिव बने तब से आज तक समस्त कार्यो की जांच उच्च स्तर से करवाई जाय तथा कुलसचिव के कार्यो से इन्हे अन्य जगह सम्बद्ध किया जाय ताकि ये जांच को प्रभावित न कर पाये और निष्पक्ष रूप से जांच हो सके।
मौके पर जनप्रतिनिधियों एवं छात्रों ने आक्रोश दिखाते हुए कुलसचिव पर कई संगीन आरोपों के कयास भी लगाए। अब देखना होगा कि इस विवाद के बाद पुरे विश्वविद्यालय के साथ-साथ चर्चा में बने हुए कुलसचिव के विरूद्ध उच्च शिक्षा मंत्री डा0 धन सिंह रावत क्या कार्यवाही करते हैं। क्या शासन स्तर पर कोई जांच बैठाने की कवायत शुरू होगी। इस समय विश्वविद्यालय में काफी संख्या में स्थानीय जनप्रतिनिधि व छात्र उपस्थित रहे।
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