आईआईटी मद्रास सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रोड सेफ्टी द्वारा ट्रॉमा केयर मजबूत’ करने पर दिल्ली में कार्यशाला का आयोजन

देहरादून: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रोड सेफ्टी (सीओईआरएस) ने दिल्ली में एक कार्यशाला का आयोजन किया जिसका लक्ष्य देश में ट्रॉमा केयर (आघात उपचार) मजबूत करना है। कार्यशाला का मुख्य विषय सशक्त ट्रॉमा केयर सड़क सुरक्षा का मुख्य पहलू था। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) के आर्थिक सहयोग से यह कार्यशालय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) के साथ मिल कर आयोजित की गई। इसमे विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य अधिकारियों की भागीदारी दर्ज की गई।

 
एमओआरटीएच की रिपोर्ट बताती है कि सालाना सड़क दुर्घटना में मृत्यु की संख्या बढ़ रही है। 2019 में सडक दुर्घटनाओं में 1.5 लाख से अधिक लोगों की जान गई। इसके अलावा, गंभीर रूप से घायलों की संख्या नी 1.36 लाख थी। गंभीर रूप से घायल लोगों के जीवन की गुणवत्ता में गिरावट बनी रहती है। इलाज पर भारी खर्च और फिर घायल या अपंग होने की वजह से आमदनी भी बंद हो जाती है। कुल मिला कर यह एक बड़ा सामाजिक-आर्थिक बोझ होता है। गौरतलब है कि मृत्यु के लगभग 50 प्रतिशत मामले घायल होने के पहले 10 मिनट के अंदर घटित होते हैं। ऐसे में सड़क सुरक्षा बढ़ाने के अच्छे ट्रॉमा केयर प्रोग्राम चाहिए ताकि लोगों को दुर्घटना से बाहर निकालने से लेकर उनके पुनर्वास तक अधिक कुशल और सुचारू सेवा सुलभ हो। 
 
मुख्य अतिथि एस गोपालकृष्णन, आईएएस, विशेष सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय(एमओएचएफडब्ल्यू) ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, यह आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है। इससे दुर्घटनाओं और आघात के मामलों में तत्काल कदम उठाने की सही दिशा मिलेगी। आज भी दुर्घटनाएं होती हैं और भारी संख्या में लोगों का दम तोडना असहज कर देता है इस संख्या को कम करना है। इस दिशा में हमारे प्रयासों में तालमेल की कमी दिखती है। राजमार्ग इंजीनियरिंग पर ध्यान केंद्रित रखता है तो स्वास्थ्य विभाग आघात के उपचार पर जोर देता है। इस समस्या का समाधान डेटा आधारित दृष्टिकोण अपना कर करना होगा। “एस गोपालकृष्णन ने यह भी कहा, “आईआरएडी (जिसका विकास आईआईटी मद्रास ने किया है) इस समस्या का एक कारगर समाधान है लेकिन यह अधिक लाभदायक होगा जब सभी भागीदार मिल कर काम करेंगे। इसके पीछे विचार यह है कि जब भी दुर्घटना होती है पुलिस सहायता से लेकर आपातकालीन उपचार और फिर बीमा तक विभिन्न भागीदारों को उपलब्ध डेटा इस प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए जाएं। यह सभी भागीदारों के लिए सिंगल पॉइंट ऑफ टूथ होगा। 
 
यह इलेक्ट्रॉनिक और पेपरलेस है और इस कार्यशाला का मकसद सभी राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों को इसकी अहमियत समझाना है। अगले कैलेंडर वर्ष से आईआरएडी में स्थायित्व आ जाना चाहिए और इसके लिए हमें सभी भागीदारों की प्रतिक्रिया मिलनी चाहिए ” इस सिलसिले में एस गोपालकृष्णन ने बताया, “आईआईटी मद्रास और सीओईआरएस ने आईआरएडी जैसा टेक्निकल सॉल्यूशन पेश कर सराहनीय काम किया है। इसका प्रमाणिक उपयोग है और में उन्हें बधाई देता हूँ। अब इसका लाभ लेना भागीदारों पर निर्भर करता है।”कार्यशाला के दौरान एक पैनल डिस्कशन भी हुआ जो भारत में अस्पताल स्तर पर आघात आपातकालीन पारिस्थितिकी तंत्र की चुनौतियां और आगे की राह पर केंद्रित था।कार्यशाला के दौरान बोलते हुए गौरव गुप्ता, निदेशक (सड़क सुरक्षा), केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने कहा, भारत सबसे तेजी से बढ़ती-बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसके विकास के लिए और बेहतर सड़क नेटवर्क चाहिए। 
 
पूरी दुनिया में सड़क हादसों में मृत्यु की संख्या के मामले में भारत पहले स्थान पर है। इसलिए भारत सरकार सड़क हादसों से जुड़ी नृत्य और गंभीर दुर्घटनाएं कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका जैसे देशों में दुर्घटनाएं अधिक होती है लेकिन मृत्यु दर बहुत कम है। आपातकालीन उपचार का लक्ष्य मृत्यु और अपंगता के ऐसे मामलों को कम करना है जिनकी रोकथाम मुमकिन है। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि दुर्घटना में बचे लोग जल्द ठीक हो जाएं और दुबारा समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाएं।nगौरव गुप्ता ने कहा, सड़क सुरक्षा बहुत जटिल मामला है और इसके कई पहलू हैं केंद्र और राज्य सरकारों से लेकर निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों तक कई भागीदार मिल कर काम करते हुए जानलेवा हादसे रोक सकते हैं।”

कार्यशाला से मुख्य अपेक्षाएं,

  • राज्य और केंद्र शासित प्रदेश एक आधार पर जुड़ कर ट्रॉमा केयर सिस्टम का आधारभूत सर्वेक्षण करते हुए उसकी योग्यता और सक्षमता का आकलन करें।
  • ट्रॉमा सेंटर के आधारभूत सर्वेक्षण की रूपरेखा कार्यशाला के दौरान प्रस्तुत की गई।
  • ट्रॉमा केयर सेंटरों के दैनिक प्रदर्शन की निगरानी के लिए एक संस्थागत रजिस्ट्री हो और इसके लिए एप्लीकेशन साझा किया जाए।
  • ट्रामा केयर में तमिलनाडु का अनुभव साझा करने के साथ तमिलनाडु दुर्घटना और आपातकालीन उपचार प्रयास (टीएईआई) लागू करने की चुनौतियां और बेहतरीन कार्य प्रक्रियाएं साझा करना। 
  • भारत में अस्पताल स्तर पर ट्रॉमा इमरजेंसी इकोसिस्टम की चुनौतिया और भविष्य पर चर्चा 
  • सड़क यातायात में आघात के मानक रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म के रूप में आईआरएडी / ई-टीएआर के उपयोग को बढ़ावा देना।

डेटा आधारित ट्रॉमा केयर का संदर्भ रखते हुए इस पहल के समन्वयक प्रोफेसर वेंकटेश बालासुब्रमण्यम, प्रमुख, सीओईआरएस और प्रोफेसर, आरबीजी लैब्स, इंजीनियरिंग डिजाइन विभाग, आईआईटी मद्रास ने कहा, “ट्रॉमा केयर आपातकालीन कार्यों के बड़े समूह का एक उप समूह है। हमारा प्रयास भागीदारों को एक आधार पर परस्पर जोड़ने स्वास्थ्य सेवा आपूर्ति में लीन प्रॉसेस कायम करने और डेटा आधारित स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने का है। इसकी शुरुआत 4 ई मॉडल से होती है अर्थात् एजुकेशन, इमरजेंसी केयर, इंजीनियरिंग और इन्फोर्समेंट के साथ-साथ इम्पैथी भी। तमिलनाडु में हम ने एक नोडल केयर सिस्टम बनाया है तमिलनाडु एक्सिडेंट एण्ड इनरजेंसी केयर इनीशिएटिव (टीएईआई) जिसके अच्छे परिणाम मिले हैं।” 

प्रो. वेंकटेश बालासुब्रमण्यम ने कहा, “हमारे नए प्रयासों का मुख्य आधार केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) रहा है। सीओईआरएस क्षमता सुधार से लेकर डेटा एनालिटिक्स तक और फिर ड्राइवर के काम के विश्लेषण अर्थात् विभिन्न पहलुओं पर काम करता है। आईआरएडी का उपयोग सड़क दुर्घटनाओं पर डेटा साझा करने के लिए सभी राज्य सफलतापूर्वक कर रहे हैं। डेटा की गुणवत्ता देखते हुए सटीक कार्य योजना बनाना आसान होता है। इससे सीमित संसाधनों का निवेश किस क्षेत्र पर करें यह भी स्पष्ट होगा।” ट्रॉमा केयर पर आईआईटी मद्रास का महत्वपूर्ण कार्य आईआईटी मद्रास ने ट्रॉमा केयर को अधिक कारगर बनाने के लिए डेटा आधारित पद्धति का विकास किया है। इस नीति का मुख्य मुद्दा गुणवत्तापूर्ण डेटा का अभाव रहा है। प्रो. वैंकटेश बालासुब्रमण्यम के मार्गदर्शन में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रोड सेफ्टी (सीओईआरएस) ने इंडियन रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आईआरएडी) का विकास किया है जिसकी मदद से राज्य स्तर पर कानून प्रवर्तन राजमार्ग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दुर्घटना और फिर आगे की सभी कार्रवाई दर्ज करने की सुधारा व्यवस्था कर पाएंगे। 

इस तरह दुर्घटना स्थल से निकालने से लेकर पीडित व्यक्ति के पुनर्वास तक का सारा काम अधिक कुशलतापूर्वक और सुचारू होगा। यह मॉडल तमिलनाडु एक्सिडेंट एण्ड इमरजेंसी केयर इनीशिएटिव (टीएईआई) के रूप में तमिलनाडु में सफलतापूर्वक काम कर रहा है और अन्य राज्यों में लागू करने की प्रक्रिया में है। टीएईआई के तहत ट्रॉमा पार्ट लाए गए मरीजों की स्थिति का आकलन ट्राइएज रूम में ट्रॉमा केयर टीम करती है। इसके बाद मरीज की गंभीरता देखते हुए उन्हें कलर कोड दिया जाता है और फिर उन्हें स्टेबलाइज करने के लिए बुनियादी उपचार किया जाता है। यदि गंभीर सर्जरी आवश्यक हो तो मरीज को उच्च स्तरीय उपचार के विशेष स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाता है।

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